Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
JLF 2015 से कुछ समाचार
भारत में जन्मे ब्रिटिश लेखक फारुख ढोंढी और बीबीसी के पूर्व पत्रकार मार्क टली के एक सत्र में सदारत करते हुए हिंदी फिल्मों के गीतकार तथा स्क्रिप्ट राइटर प्रसून जोशी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी पुस्तक के निगेटिव पहलुओं के बारे में चर्चा करने में कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन उस पुस्तक का सर्कुलेशन रोक देना कहाँ तक उचित होगा? वह पीरामल मुरुगन की पुस्तक के सन्दर्भ में बोल रहे थे.
उपरोक्त विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए मार्क टली ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अकाट्य (absolute) नहीं हो सकती. असली साहित्य और किसी व्यक्ति या समूह की धार्मिक, यौनिक तथा सांस्कृतिक मान्यताओं का अपमान करने के अधिकार में बारीक अंतर होता है जिस का ध्यान रखा जाना चाहिए.
एक अन्य सत्र में बोलते हुए समारोह के प्रोड्यूसर संजोय र्रॉय ने अनेकत्व (plurality of thought) की जरुरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लेखक इसलिए नहीं लिखता कि वह किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना चाहता है या किसी को खुश करना चाहता है. वह तो एक बेहतर कल की उम्मीद में अपने विचारों को कागज़ पर उतारता है. एकाधिक मत जरुरत हमारे जैसे देश के लिए अत्यंत अधिक है जहाँ हर जगह असमानता और विषमता दिखाई पड़ती है और जहाँ प्रगति की और जाने का एकमात्र ज़रिया ज्ञान, सुलझे हुआ दृष्टिकोण और शिक्षा का समुचित प्रसार है.
पाँच दिन के इस महोत्सव में अलग अलग क्षेत्रों से आये हुए लगभग 300 वक्ता अपनी बात को सामने रखेंगे. उनके विषय लैंगिक से ले कर इतिहास, कला व साहित्य से ले कर सिनेमा तक फैले हुए हैं.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|