शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस प्रकार प्रात: हो आई। उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई। पर अनजाने में ही की हुई पूजन का परिणाम उसे तत्काल मिला। शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसमें भगवद्शक्ति का वास हो गया।
थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके।, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसने मृग परिवार को जीवनदान दे दिया।
अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु काल में यमदूत उसके जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए। शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए।
द्वादश ज्योतिर्लिंग सुबह शाम द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से पापों का नाश होता है
१. सोमनाथ (प्रभास पतन, सौराष्ट्रा, गुजरात) २. मल्लिकार्जुन (श्रीसैलम, आंध्र प्रदेश)
३. महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्य प्रदेश) ४, ओंकारेश्वर (ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश)
५. केदारनाथ (केदारनाथ, उत्तराखंड) ६. भीमशंकर (भीमशंकर, महाराष्ट्र)
७. काशी विश्वनाथ (वनारसी, उत्तर प्रदेश) ८. त्रेयम्ब्केश्वर ( नासिक, महाराष्ट्र)
९. वैद्यनाथ (वैद्यनाथ, झारखंड) १०. नागेश्वरनाथ (जगेश्वरे, गुजरात)
११. रामेश्वरम (मदुरै) १२. घुश्मेश्वर नाथ (प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश)
Last edited by soni pushpa; 06-03-2016 at 10:03 AM.
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