24-11-2010, 03:43 PM
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Re: भारतीय स्त्री की व्यथा
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Originally Posted by kumar anil
बात रिजल्ट की नहीँ बात उनकी नैमेत्तिक स्थिति की है ।आप गिरिडीह की एक औरत की बात कर रहे हैँ । उस सार्वजनिक मँच पर उस औरत ने अनेक बार स्वीकारा कि उसे अपने पति से तमाम अधिकार प्राप्त नहीँ हैँ , उसे कई कार्योँ की अनुमति भी नहीँ है । आप किसी एक का दृष्टान्त प्रस्तुत कर रहे हैँ जबकि मैँने हजारोँ मासूम औरतोँ की बात करने की चेष्टा की थी जो इस पुरुषप्रधान समाज मेँ दहेज के नाम पर जलायी जा रहीँ हैँ और हवस पूरी किये जाने के लिए रौँदी जा रही हैँ । मैँने उन दुधमुँही बच्चियोँ की बात की थी जिनके बलात्कार के किस्से पढ़कर आप अपना अखबार रद्दी मेँ बेच देते हैँ । मैँने बात की थी मुम्बई के अस्पताल की उस नर्स की जिसे वार्डब्वाय ने जँजीरोँ मेँ जकड़कर अपने साथियोँ के साथ हवस का शिकार बनाया और वो बेचारी अबला अपने जीवन के पच्चीस वर्ष उसी अस्पताल मेँ कोमा मेँ बिताने पर विवश हुई ।आप sp की बात करते हैँ बरेली शहर की sp सिटी को उनके पुरुष सिपाहियोँ ने उन्हे ऐसे मारा था कि आपकी वह सबला अपने इस तमगे के साथ कई दिन हास्पिटल के बेड पर पड़ी रहीँ ।मान्यवर तनिक अखबार उठा कर एक नजर तो मार लिया करिये ।
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बंधु, हमारे पास भी पूरा सांख्यकि उपलब्ध है, और मै इसका जवाब भी दे सकता हूँ, परंतु मेरे इस कुकृत्य से आपका सूत्र अपने मुख्य मुद्दे से भटक जाएगा, अत: आप अपनी बात बेबाक होकर कहे।
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