Re: मेरी रचनाएँ-3- दीपक खत्री 'रौनक'
नज़र
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नज़र
है
हर किसी
की
हर नजर
पर
याकि
हर नज़र को है
...इंतज़ार
एक
नजर का
फिर है
भी तो ये
खेल भी तो
बस
नज़र नजर
का
मीठी सी कसक
एक प्यारी सी
नजर
है सबकी नज़र
कि
चाहे हो वो
तेरी या
फिर के मेरी
बस हो जरुर
यंहा वहां
इस पर
उस पर
सब पर
सबकी
एक
नज़र
दीपक खत्री 'रौनक'
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