Re: इस्लाम से आपका परिचय
इबादत के साथ अनुशासन भी देती है नमाज
मुस्लिम समाज में खुदा की इबादत की एक खास पद्धति है जिसे नमाज कहा जाता है। नमाज पढऩे वालों पर अल्लाह मेहरबान होता है। ऐसी मान्यता है। नमाज खुदा को याद करने का तरीका है। दिनभर में 5 बार नमाज अदा की जाती है। प्रात: फजर, दोपहर में जौहर, सूरज ढलने पर असर, गोधुली बेला पर मगरिब एवं रात्रि के प्रथम पहर पर इशा की नमाज अदा की जाती है। इनके समय में ऋतुओं के हिसाब से अंग्रेजी समय से फेरबदल होता है। नमाज अदा करने से खुदा की इबादत के साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने की क्रिया भी संपन्न हो जाती है। नमाज जिस तरह से अदा की जाती है उसको करने से शरीर के पाचन तंत्रों का विकास होता है। नेत्रों की ज्योति बढ़ती है तथा स्फूर्ति बनी रहती है। बल की वृद्धि होती है। स्वास्थ्य अच्छा हो तो मन भी प्रसन्न रहता है। यही प्रसन्नता खुदा की नियामत मानी जाती है। उसकी तरफ से गेबी मदद मिलती है।नमाजी व्यक्ति छल-कपट व अन्य अनैतिक कर्मों से दूर रहता है। वैसे नमाज हर दिन आवश्यक है परंतु शुक्रवार को यह पांचों समय पर पूरे रीति रिवाज के साथ ही जाती है। मुस्लिम समाज के स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी बड़े सम्मान के साथ अदा करते है।
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