Re: Malika-e-Gazal Begum Akhtar
मलिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख्तर
Malika-e-Gazal Begum Akhtar
(साभार: बीबीसी व रेहान फज़ल)
पांच फ़ुट तीन इंच लंबी बेगम अख़्तर को हाई हील की चप्पलें पहनने का भी बेहद शौक़ था. यहाँ तक कि वो घर में भी ऊँची एड़ी की चप्पलें पहना करती थीं. घर पर उनकी पोशाक होती थी मर्दों का कुर्ता, लुंगी और उससे मैच करता हुआ दुपट्टा.
रमज़ान में बेगम अख़्तर सिर्फ़ आठ या नौ रोज़े रख पाती थीं क्योंकि वो सिगरेट के बग़ैर नहीं रह सकती थीं. इफ़्तार का समय होते ही वो खड़े खड़े ही नमाज़ पढ़तीं, एक प्याला चाय पीतीं और तुरंत सिगरेट सुलगा लेतीं. दो सिगरेट पीने के बाद वो दोबारा आराम से बैठ कर नमाज़ पढ़तीं.
खाना बनाने की शौक़ीन
उनको खाना बनाने का भी ज़बरदस्त शौक़ था. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनको लिहाफ़ में गांठे लगाने का हुनर भी आता था और तमाम लखनऊ से लोग गांठे लगवाने के लिए अपने लिहाफ़ उनके पास भेजा करते थे. वो अक्सर कहा करती थीं कि ईश्वर से उनका निजी राबता है.
जब उन्हें सनक सवार होती थी तो वो कई दिनों तक आस्तिकों की तरह कुरान पढ़तीं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता था कि वो कुरान शरीफ़ को एक तरफ़ रख देतीं. जब उनकी शिष्या शांति हीरानंद उनसे पूछतीं, ‘अम्मी क्या हुआ?’ तो उनका जवाब होता, 'लड़ाई है अल्ला मियाँ से!'
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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