Re: Malika-e-Gazal Begum Akhtar
मलिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख्तर
एक बार वो एक संगीत सभा में भाग लेने मुंबई गईं. वहीं अचानक उन्होंने तय किया कि वो हज करने मक्का जाएंगी. उन्होंने बस अपनी फ़ीस लीं, टिकट ख़रीदा और वहीं से मक्का के लिए रवाना हो गईं. जब तक वो मदीना पहुंची उनके सारे पैसे ख़त्म हो चुके थे.
उन्होंने ज़मीन पर बैठ कर नात पढ़ना शुरू कर दिया. लोगों की भीड़ लग गई और लोगों को पता चल गया कि वो कौन हैं. तुरंत स्थानीय रेडियो स्टेशन ने उन्हें आमंत्रित किया और रेडियो के लिए उनके नात को रिकॉर्ड किया.
इश्क़ में नाकामी
शांति हीरानंद बताती हैं कि बेगम अख़तर ने अपनी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक शख़्स से इश्क़ किया था. वो गया के एक ज़मींदार थे और उनका नाम था अली. एक बार कोलकाता में अपनी रिकॉर्डिंग के बाद वो बिना बताए उनके घर पहुंच गईं थीं और उन्हें रंगे हाथों अपनी एंग्लो इंडियन मित्र के साथ पकड़ लिया था.
दोनों में बहुत कहा सुनी हुई थी और बेगम अख़्तर ने उसी समय उन्हें छोड़ देने का फ़ैसला किया था. बेगम अख़्तर ने अपने जीवन के कुछ बहुमूल्य दिन कोलकाता में गुज़ारे थे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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