Re: Malika-e-Gazal Begum Akhtar
मलिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख्तर
उनकी एक और शिष्या रीता गांगुली याद करती हैं कि जब बेगम अख़्तर मुंबई आतीं तो संगीतकार मदनमोहन से मिले बिना न लौटतीं. मदन मोहन उनसे मिलने उनके होटल आते और हमेशा अपनी गोरी महिला मित्रों को साथ लाते.
आधी रात के बाद तक बेगम अख़्तर और मदनमोहन के संगीत के दौर चलते और बीच में ही वो गोरी लड़कियां बिना बताए होटल से ग़ायब हो जातीं.
कई बार बेगम मदनमोहन से पूछतीं, "तुम उन चुड़ैलों को लाते क्यों हो? उनको तो संगीत की भी समझ नहीं है." मदन मोहन मुस्कराते और कहते, ''ताकि आप अच्छा गा सकें. आप ही तो कहतीं हैं कि आपको सुंदर चेहरों से प्रेरणा मिलती है."
बेगम अख़्तर का जवाब होता, "बेकार में अपनी तारीफ़ मत कराइए. आपको पता है कि आपका चेहरा मुझे प्रेरित करने के लिए काफ़ी है.''
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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