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Originally Posted by rajnish manga
बीबीसी के इस इंटरव्यू का विवरण प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद, दीपू जी. उसके ज़रिये जघन्य कृत्य में लिप्त इस अपराधी की मानसिकता का पता चलता है.
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इस जघन्य कांड के दो साल बाद जेल में रहके , एइसा इंटरव्यू देने की इतनी जरुरत करने का साहस अब तक कैसे बाकि है उस दरिन्दे में ? उससे पुछां जाना चहिये की यदि एइसा ही था तो उसके साथी ने जेल में खुद आत्महत्या क्यों कर ली ? अफ़सोस है की इन्हें अब भी इतनी छुट है की वो इतना बोल रहे हैं. एइसे लोगो की बिविओं और बहनोंऔर बेटियों पर तरस आता है जिसके भाई बाप या एइसे होंगे जो की महिलाओं के लिए इतने हीन और गिरे विचार रखते हैं . एइसे शब्द उस इन्सान की सबसे निम्न कोटि की मानसिकता को ही जाहिर करती है.