20-12-2015, 08:56 PM
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#8
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Re: आपकी बेटी, निर्भया
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Originally Posted by deep_
अत्यंत भावभीनी रचना। रजनीशजी ने पीड़ित के दुख को भलीभांति महसूस करवाया। भगवान न करे की फिर कभी भी एसे अपराध देश में घटे। 'निर्भया' के लिए आक्रोश और आंसु के सिवा और कुछ है तो सिर्फ दुआ है।
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Originally Posted by deep_
और अधिक तकलीफदेह बात यह भी है की आज एक आरोपी जो उस वक्त सगीर था, आज जेल से रिहा होनेवाला है।
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आपकी रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद, दीप जी. आपकी तरह हर भारतीय यही चाहता है कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. लेकिन दिल्ली में 2013, 2014 और 2015 (अक्तूबर तक) के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. इस प्रकार के अपराध कम होने के स्थान पर बढ़ते जा रहे हैं. दूसरे, जब तक माइनर की परिभाषा नहीं बदलती और क़ानून में बदलाव नहीं होता, अपराध के समय पर नाबालिग दोषी को कोई जेल में कैद नहीं कर सकता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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