न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल ...bansi
न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल
छोड़ दिया है उस पर मुझे रखे जिस हाल
कुछ भी सोचने की ज़रूरत महसूस होती नहीं
क्यूँ कि यकीन है पूरा वो मेरा रखेगा ख़याल
दुनियाँ में कोई भी ऐसा कभी भी होता नहीं
जो अपनो का कभी भी नहीं रखता ख़याल
ज़रूरत है यारो उसको दिल से अपना बनाने की
ता कि सोते जागते सदा आए उसका ख़याल
न दिल में होगी आज किसी बात की चिंता
न कभी मन में आएगा कल का ख़याल
हर हाल में मन में हर वक़्त होगी खुशी
खुशियों से हमेशा के लिए हो जाएँगे माला माल
न जीने की तम्मना है ना मरने के ख़याल
‘बंसी’ छोड़ दिया है उस पर मुझे रखे जिस हाल
बंसी(मधुर)
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