Re: हिंदी के विकास में लुंगी का महत्व
फिर क्या था? हिन्दी साहित्य के तड़के के साथ रोज़ाना मुफ्त में मिलने वाले दो ग़र्म समोसा और एक ग़र्म इमरती के साथ एक ग़र्म कॉफ़ी से भला कौन मूर्ख हाथ धोना चाहेगा? हम लपकते हुए 'हिन्दी विकार क्लब' के बाहर बने पंजीकरण-काउंटर पर पहुँचे और क्लब की सदस्यता का कार्ड बनवाकर अन्दर दाखिल हुए। 'हिन्दी विकार क्लब' के वातानुकूलित स्वागत-कक्ष की दीवारों पर जगह-जगह पर लिखा हुआ था-
--'हिदी बिकार क्लब मे आपका हर्दिक स्वगत है।'
--'हिदी आपकी मात्रभषा ही नही राजभषा भी है। ईसलीये क्रप्या हिदी मे बोलीये।'
--'हिदी बिकार क्लब मे इंगलीश मे बुलना सख्त माना है।'
--'सदस्यगन क्रप्या हिदी के बिकास मे अपना सकिृय योघधान दे।'
पढ़कर हमारे कान खड़े हो गए। इस क्लब में हिन्दी के विकारों के बारे में बताया जा रहा है या हिन्दी में विकार पैदा किया जा रहा है? यह कैसा क्लब है जहाँ पर हिन्दी के विकास के नाम पर हिन्दी की टाँग तोड़कर हिन्दी की अर्थी उठाने की तैयारी चल रही है? इस बात का पता लगाना होगा- कौन इस षड़यन्त्र को अंजाम दे रहा है?
Last edited by Rajat Vynar; 19-04-2017 at 01:26 PM.
|