Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
अप्रेल की 14 तारीख को, बस की प्रतीक्षा कर रहे दो किशोरों को बुरी तरह घायल कर दिया गया, पुनः .32 केलिबर स्वचालित द्वारा. दो दिन पश्चात, बाहर से आये 23 वर्षीय पर्यटक नेल्सन शील्ड्स को उस समय गोली चला कर मार डाला गया, जब वह एक मित्र के यहाँ कालीन दे कर आ रहा था. इस समय तक के हमलों में मरने वालों की संख्या 13 और घायलों की संख्या 7 हो गई थी. इन सनसनीखेज घटनाओं ने सान फ्रांसिस्को शहर के प्रशासन की नाक में दम कर रखा था.
अप्रेल की 17 तारीख को मेयर एलियोटा ने पूरे शहर में हत्यारों को पकड़ने के लिये जाल बिछाने का हुक्म दिया जिसे ऑपरेशन ज़ेब्रा का नाम दिया गया. पुलिस की कुछ विशेष यूनिटें जिनके पास कलाकारों द्वारा बनाये संदिग्ध व्यक्तियों के स्कैच भी उपलब्ध थे. हुलिए से मेल खाने वाले हर अश्वेत युवक को रोक कर पूछताछ करते. किसी प्रकार, किसी भी युक्ति से हत्याओं पर रोक लगनी चाहिये.
कोई 600 से अधिक अश्वेतों से पुलिस ने पूछ-गच्छ की थी और उन्हें जाने दिया था. परन्तु ऑपरेशन आंशिक रूप से ही सफल हो पाया क्योंकि इसने हत्यारों को गलियों से दूर खदेड़ दिया था. हमले रुक गये. इस बीच ‘हॉल ऑफ़ जस्टिस’ की चौथी मंजिल पर स्थित मानव-हत्या सम्बन्धी जांच कार्यालय किसी फौजी बैरक की तरह लगता था. कोरेरिस, फोटिनौस और उनकी ज़ेब्रा टीम के सदस्य अपने डेस्कों पर ही सो जाते थे.
खस्ता-हाल और थकावट से चूर होने पर भी, वे अक्सर 48-48 घंटे बिना विश्राम लिए काम करते रहते. सिर्फ दो घंटे की झपकी राहत के लिए, इससे अधिक नहीं.
बार-बार वे गोलीकांडों की फाइलों से माथापच्ची करते, पुनर्विचार करते, संभावित रूप से संदिग्ध लगने वाले नामों को छोड़ देते. उन्हें इस बात का यकीन हो चला था कि उनका पाला अश्वेत उग्रवादियों से पड़ा है. किन्तु इसके अतिरिक्त उन्हें क्या पता था? ज्यादातर घटनायें सप्ताह के कार्य-दिवसों में रात 8 बजे से 11 बजे के बीच घटित हुयीं. यह इस बात का संकेत था कि अपराधी दिन के समय अपने रोजगार में व्यस्त रहते थे.
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