05-01-2015, 12:41 AM
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#11
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Re: आओ प्रण करें !
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Originally Posted by soni pushpa
अच्छा सूत्र अच्छी बाते है आपके इस सूत्र में अरविन्द जी ,.. देश की समस्याएं देश के लोग ही मिलकर सुलझा सकते है एइसा मेरा मानना है . यदि हरेक घर में जागरूकता के साथ कार्यनिष्ठा अ जय तब ही ये प्रण मुमकिन होगा न की आदर्शवादी बातो से ही किन्तु सिरफ़ बाते नही अपितु आदर्श का होना जीवन में जरुरी है क्यूंकि इन्सान एक आदर्श को आगे रखकर ही आगे बढ़ सकता है
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आपके विचार तो बहुत अच्छे हैं किन्तु समाज में सब प्यूरिटी के साथ नही जी सकते क्यूंकि स्वार्थ आड़े आ ही जाता है , जहा खुद की सुरक्षा की भावना, खुद के लाभ की भावना रहेगी तब तक कोई किसी के लिए कुछ न त्याग कर सकता है न सेवा हो सकती है इसलिए मेरा मानना है की सबसे पहले इंसान को खुद संभलना अच्छे विचार रखना और खुद के परिवार से अच्छाई की शुरुवात करनी होगी रही प्रण की बात तो मै इतना कहूँगी की प्रण अच्छी चीज़ है यदि सच में दिल से उसे अपनाया जाय किन्तु कुछ विरले ही होते है मानव समाज में जो अपने प्रण पर अडिग रह सकते हैं बाकि मानव के जीवन में आज इतनी सारी मुश्किलें हैं की वो चाहते हुए भी अपने प्रण को पूरा नही कर सकता .
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अपने अमूल्य विचार रखने के लिए धन्यवाद सोनीजी !
इस सूत्र रचना का मूल उद्देश्य यही है जो आपने बताया ! मैं मानता हूं हम अपने स्वार्थ के कारण ही गलत के भागीदार बनते है ! ... और ये बात भी सहीं ही है कि आज के मानव जीवन की मुश्कीलों से चाह कर भी अपना प्रण पुरा नहीं कर सकता !
..... पर यहां मेरा उद्देश्य ये बिल्कुल नहीं है कि हर कोई अपने को पूर्ण रूप से बदल डाले ! क्युंकी यदि किसी ने ऐसा करने की कोशीश की तो ये उसके लिए आत्महत्या करने जैसा हो जायेगा !! क्योंकी किसी एक के बदलने से सारा सीस्टम नहीं बदल जायेगा रातों रात !
...पर हां हम अपने से सम्भव हो सके और जो सहजता से निपट जाए ऐसा छोटी-छोटी किश्तों के रूप में अपने जीवन में जरूर बदलाव लाएं ! आज के ये छोटे-छोटे प्रयास हीं हममें ये आत्मविश्वास दिलाएंगे कि सही रास्ते से भी मंजील को पाया जा सकता है !!
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