बीती बातें दोहराई जाए,
सूखी आंखे रुलाई जए ।
आती जाती है जो सांस सी,
यादें वो सारी भुलाई जाए ।
अब रोशनी की क्या जरुरत?
उमीद हर एक मिटाई जाए...
फिर कभी भी जल न पाए,
हर लौ...एसे बुझाई जाए।
उसके दिल पे बोझ न पड़े,
कुछ एसी चाल चलाई जाए...
मै ही बेवफा था आखिर,
यह बात उसको मनवाई जाए ।
कत्ल करने को काफी है,
पलकें गिराई जाए, उठाई जाए।
जहां आना जाना हो उनका,
लाश वहीं दफनाई जाए|
(दीप)
२.३.१५