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कापीराइट विधेयक को रास में चर्चा के लिए रखने का सिब्बल ने दोबारा किया प्रयास
नयी दिल्ली ! मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने आज कापीराइट कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक को चर्चा के लिए फिर से राज्यसभा में रखने का प्रयास किया लेकिन हंगामे के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। पिछले हफ्ते विपक्ष की आपत्ति के कारण विधेयक पर चर्चा नहीं हो पायी थी। पिछले सप्ताह, भाजपा, अन्नाद्रमुक तेदेपा, जदयू सहित विपक्षी दलों ने यह विधेयक चर्चा के लिए रखने से ‘‘हितों के टकराव’’ होने का हवाला देते हुए सिब्बल को रोक दिया था। विपक्षी दलों का आरोप था कि सिब्बल यह विधेयक चर्चा के लिए सदन में नहीं रख सकते क्योंकि उनके वकील पुत्र एक प्रसिद्ध संगीत कंपनी की ओर से अदालत में पेश होते हैं। इस संशोधन विधेयक के जरिये 1957 के कापीराइट कानून को उपयुक्त अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुरूप बनाया जायेगा। साथ ही इसमें एक वैधानिक लाइसेंसिंग की व्यवस्था शुरू करने का प्रावधान है ताकि साहित्य एवं संगीत रचनाओं के मालिकों को सरंक्षण प्रदान किया जा सके। पिछले हफ्ते जदयू के शिवानंद तिवारी ने कहा था कि संसद की आचार समिति के नियम 294 के तहत मामले से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष हित रखने वाला सदस्य विधेयक को चर्चा के लिए नहीं रख सकता...यह हितों का टकराव है। सदन में आज हंगामे के बीच सिब्बल ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा। लेकिन इस पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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