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Originally Posted by rajnish manga
शून्यता का वन कभी देखा नहीं
शून्यता का वन कभी देखा नहीं
इतना खालीपन कभी देखा नहीं
दिल का अम्नो चैन भी जाता रहे
इतना ज्यादा धन कभी देखा नहीं
जो हमारी मुश्किलों को काट दे
ऐसा अपनापन कभी देखा नहीं
आँख की बीनाई भी जाती रही
अपना अंतर्मन कभी देखा नहीं
(बीनाई= नेत्र ज्योति)
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बहुत बहुत बढिया....बहुत दिनों बाद फोरम पर आना हुआ ,और आपकी इस उत्कृष्ट रचना को पढ कर लगा कि आना सार्थक हुआ.......