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Originally Posted by aksh
बिलकुल ठीक ही कहा है मित्र. वैसे हो सकता है कि सुबह होने पर कुछ और ही नज़ारे हों इस दुनिया के. में तो उस सुहानी सुबह का इन्तेजार कर रहा हूँ जब सारे मित्र एक साथ चौपाल पर आ जायें और गपशप करें.
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बिलकुल मित्र ,मुझे पूरा यकीन है इस चौपाल पर एक दिन फिर से हम सभी दोस्त गप शप करेंगे.