Re: मुहावरों की कहानी
आज नहीं कल
(टालमटोल करना)
एक मुसलमान प्रतिदिन रात में एक पेड़ के नीचे जा कर अपने अल्लाह से दुआ करता कि ‘ए खुदा! मुझे अपनी मुहब्बत में खेंच.’
उसकी यह बात किसी मसखरे ने सुन ली. एक रात वह पेड़ पर चढ़ गया और उसने रस्सी का फंदा नीचे गिरा कर ऊपर खींचना शुरू कर दिया.
तब वह अल्लाह का बंदा यह सोच कर कि खुदा ने उसकी दुआ कबूल करते हुए यह रस्सी ऊपर से मेरे लिए भिजवाई है, घबरा कर जोर जोर से चिल्लाने लगा कि ‘इतनी जल्दी नहीं मौला .... आज नहीं कल ... आज नहीं कल’. तब से यह कहावत चल निकली.
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|