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Old 01-02-2015, 04:46 PM   #2
Arvind Shah
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Default Re: प्रश्नचिह्न

मित्र ईश्वरीय सत्ता और विधी के विधान को समझने हेतु एक छोटी सी कहानी संक्षेप में बता रहा हूं !बाकी चचर्ा उसके बाद करूंगा !

10 लोग अपना काम—धन्धा कर के पैदल अपने घर जा रहे थे । गांव उनका दूर था । बीच रास्ते में एक बड़ा जंगल भी पड़ता था । सभी लोग आपके मेरे जैसे सामान्य लोग थे । बतीयाते हुए चले जा रहे थे । बारीश का मौसम था । बीच राह में तेज हवाएं चलने लगी और तेज अंधड़ के साथ मुसलाधार बारीश शुरू हो गई । बहुत ही तुफानी बारीश हो रही थी । बारीश से बचने के लिए सभी लोग भागते हुए पास ही ​दिख रहे टुटे—फुटे मकान की शरण चले गये । बारिश थी की रूकने का नाम नहीं ले रही थी । बारीश अपने प्रचंड रूप में थी । सभी लोग घबरा रहे थे । भगवान से बारीश रूकने की प्रार्थनाएं कर रहे थे साथ ही बांतो का ​सीलसीला जारी था । इन्हीं बातों के दरम्यान किसी ने कहा की हममें से कोई बड़ा पापी जीव है जिसके कारण बारीश रूक नहीं रहीं है और उसके पापों का फल हम सभी को भुकतना पड रहा है ।

...अब सब तरफ सन्नाटा था । सिर्फ बारीश की तुफानी आवाजे ही आ रही थी ..और बीजली की कडकडाहट !!

हर कोई दूरसे को शक और ध्रणा भी निगाहो से देश रहा था !! ...मानों स्वयं दूध का धुला हो और सामने वाला ही इस आफत का जीम्मेदार हों !!

इसी बीच बातों—बातों में तय हो गया कि हममें से पापी कौन है ये जाना जाय ताकी उसको निकल के बाकी सभी सुरक्षित हों जाएं ।

इस हेतु तय किया गया कि हममें से बारी—बारी हर एक सामने दिखनेवाले आम के वृक्ष तक जायेगा और वापस यहां आयेगा । ..और जो भी पापी होगा उस पर बीजली गिर जायेगी ।

अब एक—एक कर सामने दीखने वाले वृक्ष तक जाने ओर आने लगे !

जो भी वृक्ष तक जा के वापस सकुशल आ जाता उसका प्रसन्नता से चेहरा खिल जाता और दूसरों को अकड़ के यं देखता मानों उसके समान पूण्यशाली दूजा कोई नहीं !!

...अब ये जाने—आने का क्रम 9 व्यक्तियों तक बराबर चला !जैसे ही नवां व्यक्ति वापस सकुशल आ गया तो 10वें व्यक्ति की तो मानो शामत ही आ गई !! सभी उसको कोसने लगे और बुरा भला कहने लगे ! ...वो बैचारा भी क्यां करता ! उसको भी लगन लगा की इस सबका जिम्मेदार वोही है ।

उब उसकी बारी थी वृक्ष तक जाने की ! ...सो डरते—डरते वो उस वृक्ष तक गया । ...ज्यों ही वो उस वृक्ष के निचे गया ....कि एक तेज गडगडाहट हुई ...और उसनें मारे डर के अपनी आंखे बन्द कर ली कि अब तो मैं गया ...!!......थोडी देर बाद आंखे खोली तो देखा बीजली उस पर नहीं बल्की वहां उस टृटे—फुटे मकान पर गिरी थी जहां 9 लोगो ने स्वयं को अतिपुण्यवान समझ के आसरा लिये हुए थे !!!
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