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Old 05-11-2014, 03:55 PM   #15
soni pushpa
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Default Re: मेरा जीवन

[QUOTE=rajnish manga;536572][size=3]बहुत वर्ष पहले कि बात कर रहा हूँ. उन दिनों रसोईघर में गैस इस्तेमाल नहीं होती थी और न ही गैस लाइटर मार्केट में आये थे. माचिस का प्रयोग आम था. आदतन जब हम माचिस उठाते थे तो उसे हिला कर निश्चिन्त हो जाते थे कि इसमें तीलियाँ हैं. यदि आवाज नहीं होती थी तो समझ लेते थे कि उसमे तीलियाँ नहीं हैं अर्थात् माचिस खाली है. एक बार ऐसे ही अवसर पर मैंने माचिस उठाई और उसे हिला कर देखा. उसमे से तीलियों की आवाज नहीं आयी. एक-दो बार फिर किया तो भी आवाज नहीं आयी. यद्यपि माचिस को हाथ में उठाने से आभास हो रहा था कि उसमे तीलियाँ हैं. मैंने माचिस को खोल कर देखा तो पाया कि माचिस तीलियों से इतनी खचाखच भरी हुई थी कि तीलियाँ हिलने की कोई गुंजाइश नहीं थी.

[size=3][color=red]मूढ़ व्यक्ति और अत्यंत ज्ञानी व्यक्ति का तब तक हमें अंदाजा नहीं लगता जब तक कि उसके भीतर क्या है, यह न देखा जाये यानी किसी विषय पर उनके विचार न सुने जायें.

बहुत उपयोगी बात कही आपने रजनीश जी ,... हम सर चेहरा देखके नही बता सकते की कौन इन्सान कितना गुनी है न ही किसी का एक वाकया पढ़कर अनुमान हो सकता है की इन्सान कितना बुध्धिवान है ... ज्यों ज्यों हम साथ रहकर किसी को परखते हैं तब पता चलता है की वो क्या है

पवित्रा जी आपने बहुत अच्छा विषय रखा है धन्यवाद . इस विषय की वजह से हम एकदूजे को और ज्यादा अच्छे से जान पहचान पाएंगे. अगर अपनी बात कहूँ आपको? तो लिखने का शौक मुझे बचपन से ही था इस संदर्भ में आपको बताना चाहूंगी की आपकी बात से मुझे yaad आ रही है बचपन की एक घटना जब मै क्लास ४ में थी तब हमे रेल दुर्घटना से sambandhit निबंध लिखने को कहा गया था और मैंने जब निबंध लिखकर अपनी शिक्षिका को बताया था तब उन्होने मुझे बेहद खुश होकर आशीर्वाद दिए थे . शायद आज मै जितना लिख रही हूँ वो सब उनके आशीर्वाद ही हैं ... क्यूंकि कई बार जब लिखने लगती हु तो बस मन में शब्द आ जाते हैं और लिखते चली जाती हूँ ... पर हाँ कई बार कोई अच्छी और उपयोगी बातें नेट में पढ़ती हु तब कॉपी पेस्ट करती हु पर बहुत कम जेइसे की सेब वाला मेरा लेख है वो कॉपी किया हुआ है durgashtakam कॉपी pest किया हुआ है ...

Last edited by soni pushpa; 05-11-2014 at 04:01 PM.
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