Re: मेरा जीवन
कुकी जी ने बिलकुल सही कहा कि हम अपने जीवन में कदम पर कुछ न कुछ सीख सकते हैं बशर्ते कि हमारा रुझान सीखने की ओर हो. इस तरह हम पढ़ते हुए, देखते हुए, सुनते हुये, बातचीत करते हुये अनेकों अच्छी बातें सीख सकते हैं. यह सीखना जाने-अनजाने हमारे दृष्टिकोण को परिष्कृत करता चलता है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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