Re: प्रेरक प्रसंग
एक समय की बात है कि एक राज्य में चन्द्र नामक एक राजा राज करता था.. उसकी पशुशाला में अनेक पशु थे, जिनमें हाथी,घोड़े,ऊंट,गाय,बंदर,भेड़ आदि थे... पशुशाला के भेड़ों में एक भेड़ बहुत लालची थी.. वो रोज रसोई में घुसकर खाना खा लिया करती थी.. रसोई घर के भंडारी उससे बहुत परेशान रहा करते थे.. और कई बार उनके हाथ में जो कुछ भी रहता उसी से मारते भी थे, लेकिन भेड़ अपनी आदत से बाज नहीं आती थी.. इस कलह को देखकर बंदरों के मुखिया को बहुत चिंता हुई.. वह नीति-शास्त्र का महान ज्ञाता था.. और इसके परिणाम से अवगत था.. एक दिन उसने सभी वानरों को एकांत में ले जाकर उन्हें समझाते हुए कहा कि जिस घर में प्रतिदिन कलह होता है, उस घर को तत्काल छोड़ देना चाहिए... वहां रहना ठीक नहीं होता.. तब वानरों ने पूछा कि हे कपि श्रेष्ठ! हमारा तो किसी से कलह नहीं है, फिर भेड़ और भंडारियों की कलह से हमें क्या मतलब? और उससे हमारा विनाश का क्या प्रयोजन?
तब उनके मुखिया ने बताया कि ये भंडारी लोग यदि किसी दिन क्रोध में आकर चुल्हे की जलती लकड़ी से भेड़ को मार दिया तो उसके शरीर के बालों में आग लग जाएगी... जिसे बुझाने के लिए भेंड़ घुड़साल में घुसकर लोटने लगेगी... तब अस्तबल में भी आग लग जाएगी और राजा के प्रिय घोड़े आग के शिकार हो जाएंगे.. उसके बाद घोड़ों के उपचार के लिए राजा किसी अश्व चिकित्सक को बुलाकर उपचार पूछेगा... इतना कहकर कपि श्रेष्ठ चुप हो गए... फिर वानरों ने पूछा कपिवर! इन बातों में तो हमारा कोई अनिष्ट नहीं है... फिर आप चिंतित क्यों है? मुखिया बोला- आचार्य शालि होत्र द्वारा रचित अश्व चिकित्सा ग्रंथ में लिखा गया है कि जले हुए घोड़ों का इलाज वानर की चर्बी से किया जाता है.. ऐसा करने से घोड़ा तुरंत ठीक हो जाता है.. अतः इलाज के लिए राजा हम सबको मरवा देगा.. क्योंकि घोड़े राजा को बहुत प्रिय हैं.. तब अपने मुखिया द्वारा इस तरह की बात सुनकर सभी वानर हंसते हुए बोले कि- वृद्धावस्था के कारण आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है.. जो केवल कल्पना के आधार पर अनिष्ट की रचना कर रहे हैं... मुखिया के लाख समझाने पर भी वानर नहीं माने तब मुखिया वहां से चला गया...
और एक दिन हुआ वही जिस बात की मुखिया को डर थी- जलती लकड़ी भंडारी ने भेड़ को मारी... उसके बालों में आग लग गई, वो आग बुझाने अस्तबल में भागी.. अस्तबल भी आग की चपेट में आ गया.. घोड़े भी जलकर मरने लगे... किसी तरह आग पर काबू पाई गई.. उसके बाद राजा ने बैद्यराज को बुलाया, और घोड़े को बचाने का उपचार पूछा.. तब बैद्यराज ने कहा जले हुए घोड़ों को बचाने के लिए वानरों की चर्बी चाहिए.. राजा ने तुरंत सब वानरों को मारने का आदेश दे दिया और घोड़ों का उपचार शुरु कर दिया.. इस प्रकार कलहपूर्ण स्थान पर रहने के कारण बंदरों का विनाश हो गया... अतः मनुष्य को चाहिए की वो ऐसे स्थान पर रहें जहां शांति हो...
|