[QUOTE=rajnish manga;556098]
शाम के समय पुरुषों के बारे में कुछ और खुलासे हुए. शाम के समय पुरूष सज धज के थालियों में पूजा का सामान ले जाते दिखाई दिए. सुबह से ले कर शाम तक पुरुषों का कोई अधिक दीदार नहीं हुआ. हां, अब, कई कई समूहों में लोग मंदिरों की ओर जाते हुए दिखाई दिए. मुझे ख़याल आया कि आज तो करवा चौथ का पर्व है. आज तो 2015 में महिलायें अपने पति की लम्बी उमर के लिए निर्जल रह कर व्रत उपवास कर रही होंगी. और यहाँ क्या हो रहा है? कोई महिला व्रत उपवास रखते हुए नहीं दिखी बल्कि यहाँ तो व्रत उपवास पूजा के लिए पुरूष प्रतिबद्ध नज़र आ रहे थे. ज़ाहिर था कि ये सभी पुरूष अपनी पत्नियों की लम्बी उमर के लिए व्रत कर रहे थे. मैं भी अपने को छुपाते हुए उन पुरुषों के साथ चलने लगा. थोड़ी देर वे लोग एक विशालकाय मंदिर में दाखिल हुए. मैंने देखा कि मंदिर में पुजारी का काम भी महिलायें कर रही थीं. वही कथा पढ़ रहीं थीं और पुरूष गोल चक्कर में बैठ कर पूजा की थाली घुमा रहे थे. एक ग्रुप निबटता तो पुरुषों का दूसरा ग्रुप घेरे में आ बैठता. ध्यान दिया तो वे सब लोग करवा चौथ को करवा चौथ नहीं बल्कि कड़वा चौथ कह रहे थे. पुरुषों की यह दशा देख कर मुझे पसीने आ गए. मैं वहाँ से भाग निकला.
[size=3][font="]भागते भागते मैं उस पार्क में आ गया जहां मैंने टाइम मशीन को छिपाया था. मशीन को निकाल कर मैंने वापसी यात्रा के लिए सैट किया और वहाँ से टेक ऑफ कर लिया. इतने में मेरे सैलफोन में लगे हुए सुबह चार बजे के अलार्म की कर्कश आवाज गूँज उठी और मेरी आँख खुल गयी.
omg bhai ... आपका स्वप्न इतना इतना रोचक था भाई
काश सच हो ,... स्वप्न तो सच पड़े न पड़े किन्तु हाँ आपके इस स्वप्न की वजह से हमने खूब हंस लिया