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Old 11-01-2014, 08:37 PM   #4
bindujain
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Default Re: लघुकथाएँ

अब राम राज्य आएगा


बापू के तीनों बंदर बापू की मुसकुराती प्रतिमा के सामने जा कर खड़े हो गये। तीनों की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे। कान बंद किये हुए बंदर बोला-‘बापू बहुत समय हो गया। कान बंद करके भले ही बुरा न सुना हो, पर जो न चाहा था उसे मजबूरी से देखना पड़ रहा है, बहुत कहा किंतु किसी ने उस पर अमल नहीं किया। अब सहा नहीं जाता। कहते जबान थक चली है। असहनीय इतना है कि अब देखा भी नहीं जाता।'
मुँह बंद किये हुए बंदर की आपबीती कान बंद किये बंदर ने सुनाई। बोला-‘बापू इतना कुछ देखने के बाद तो अब इससे बोले बिना नहीं रहा जाता, बहुत विचलित रहता है। सुना इतना कि अब तो कान भी पक गये हैं।'
आँखे बंद किये तीसरा बंदर बोला- ‘बापू, ये सच बोल रहे हैं, मैं भी जो सुन रहा हूँ, असहनीय होता जा रहा है। बोलने की क्या कहूँ, मुझे कायर तक समझने लगते हैं, व्यंग्य करते हैं। देखने और सुनने से जब ये इतने व्यथित हैं, तो मैंने भी यदि देखा, तो मैं भी सह नहीं पाउँगा। क्या हो गया है मेरे देश को? आपने राम राज्य का सपना देखा था, हम तीनों आपके लिए कुछ नहीं कर सके।'
तीनों ने हाथ नीचे करते हुए कहा- हमें क्षमा करें बापू, इतने समय से हम यह बात नहीं समझ पाये कि हमारे हाथ बँधे हुए थे। आपने हाथ बाँधने के लिए तो नहीं कहा था !हमें अपने हाथ खोलने होंगे बापू। अब समय आ गया है,हमें अब इन हाथों से कुछ कर गुजरना होगा,तब ही देश के हालात बदलेंगे।
बापू अब भी मुसकुरा रहे थे। ऐसा लगा, वे कह रहे हों-‘अब राम राज्य आएगा !!
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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