भारत रत्न
स्व. लाल बहादुर शास्त्री (11 जनवरी)
स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल यद्यपि बहुत कम (9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक) रहा किंतु इस छोटे कार्यकाल में ही उन्होंने वो काम कर दिखाया जिससे उन्हें सदा याद किया जायेगा. सर्वप्रथम, उनके नेतृत्व में भारत ने भारत-पाक युद्ध में गौरवशाली विजय प्राप्त की. तत्पश्चात, शांति को प्रतिबद्ध भारत ने ताशकंद में पाकिस्तान से समझौता किया. दूसरा, उनका नारा- जय जवान जय किसान आज तक लोगों के दिलो दिमाग़ में कायम है. उन दिनों शास्त्री जी ने देश में खाद्य समस्या के चलते हर सोमवार की शाम को उपवास रखने का आह्वान किया जिसे स्वेच्छा से सारे देशवासियों ने अपनाया. सोमवार शाम को न तो घरों में चूल्हा जलता था और न ही होटल,रेस्त्राँ, या ढाबों पर खाना परोसा जाता था. एक शेर उन्हें बहुत पसंद था:
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं......तो चर्चा नहीं होता
इस महान विभूति को हमारी सादर श्रद्धांजलि.