Re: पुल (bridge)
वाह ...वाह ...वाह. इतनी सुंदर लघु कथा पढ़ कर सचमुच आनंद आया. ऐसी लघु कथाएं हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं. वास्तव में जीवन में हमें पुल बनाने के बहुत मौके मिलते हैं लेकिन हम अपने अहम् की वजह से सामने दिखाई देने वाली खाइयों पर पुल नहीं बाँध सकते.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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