मोहतरमा अंजुम साहिबा का कलाम सुनवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया, बिंदु जी:
उसके आँगन में अमीरी का शजर लगता है
उसका हर ऐब ज़माने को .. हुनर लगता है
चाँद तारे मेरे पांवों पे ......... बिछे जाते हैं
ये बुजुर्गों का मेरे सर पे ... असर लगता है
उनके साथ ही कुँवर महेन्दर सिंह बेदी को सुनने का भी सवाब (पुण्य) मिल गया. बेदी साहब
के मुख़्तसर से कलाम में उनकी महान शख्सियत तथा दीन, दुनिया व जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण की झलक साफ़ साफ़ देखने को मिलती है. मेरा विशेष आभार स्वीकार करें.
इन पोस्टों में हम सब की मिलीजुली पसंद के ही दीदार होते हैं.