25-01-2015, 04:25 PM
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Re: Spotlight
Perumal Murugan
पेरुमाल मुरुगन
मुरुगन और उनकी किताब का विरोध कर रहे समूहों के बीच एक बैठक के बाद बात ज़्यादा बिगड़ गई.इस बैठक में समूहों ने मुरुगन से बिना शर्त माफी मांगने, विवादित हिस्सा हटाने और ऐसी चीजों कोलिखने से तौबा करने के लिए कहा था जिससे आम आदमी की भावनाएं आहत होती हैं.इसके विपरीत, कई लेखकों ने मुरुगन की अलग और चौंकानेवाली कल्पना और दंपति के 'संवेदनशील चित्रण' की सराहना भी की है.
कई लेखक और बुद्धिजीवी किताब पर हो रहे जातिवादी हमले को अभिव्यक्ति पर हमला मानते हैं.इतिहासकार रामचंद्र गुहा कहते हैं, "पेरुमल मुरुगन का इस तरह चुप हो जाना तमिलनाडु ही नहीं पूरे भारत के लिए दुखद है."
रामचंद्र गुहा की ही तरह दूसरों का भी मानना है कि अगर मुरुगन ने भारत में अभिव्यक्ति पर बढ़ते हमले के बीच लिखना नहीं शुरू किया तो ये निराशाजनक होगा.
लेखक और अनुवादक एन कल्याण रमण कहते हैं, "मुरुगन तमिल भाषा के बेहतरीन लेखकों में से हैं. उनकी रचनाओं में तमिलनाडु बसता है. वे अपनी कलम से जातिगत भेदभाव पर सवाल खड़े करते रहे हैं. वे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति एक सजग और इतिहास के प्रति संवेदनशील रचनाकार हैं."
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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