Re: कुतुबनुमा
छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती आबादी
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या लगातार कम होती जा रही है और राज्य सरकार को लगता है इसकी कोई फिक्र ही नहीं है। यही नहीं, बाघों के लिए रहने का इलाका भी अतिक्रमणों के चलते कम हो रहा है और राज्य प्रशासन इसकी भी लगातार अनदेखी कर रहा है। कुछ समय पहले उच्च न्यायालय ने भी बाघों की गिरती संख्या पर चिंता जताई और यहां तक टिप्पणी की कि आने वाली पीढ़ियां बाघ देख पाएंगी या नहीं? न्यायालय ने नेशनल बाघ कंजर्वेशन अथॉरिटी से भी इस बाबत जवाब-तलब किया था। ताज्जुब तो इस बात का है कि बाघों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री और वनमंत्री की अध्यक्षता में समितियां भी बनी हुई हैं, लेकिन सरकार के पास संभवतः फुर्सत नहीं है। पांच साल में इन समितियों की एक भी बैठक नहीं हुई। यहां तक कि फील्ड डायरेक्टर भी नियमित रूप से बैठक नहीं ले रहे हैं। छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें बाघों की संख्या 22 से 28 के बीच बताई जाती है, जबकि पहले अकेले अचानकमार टाइगर रिजर्व में ही 28 बाघ थे। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह साल में बाघों का रहवास क्षेत्र बढ़ने के बजाय सौ वर्ग किमी तक घट गया है। पहले 3609 वर्ग किमी रहवास क्षेत्र था, जो अब घटकर 3514 वर्ग किमी हो गया है। इसके बावजूद राज्य का वन अमला बाघ संरक्षण के प्रति संवेदनशील नहीं है। जानकार तो यह भी मानते हैं कि बाघों के रहवास इलाकों में भी अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते बाघों को परेशानी भी बढ़ रही है। या तो उनकी मौत हो रही है या फिर आसपास के आवासीय इलाकों में घुस रहे हैं। यही वजह है कि तीन साल के भीतर तीन बाघों की मौत हो चुकी है। टाइगर्स रिजर्व इलाकों में बाघों की सुरक्षा में भी कोताही बरती जा रही है। रिजर्व इलाकों में सुरक्षा के लिए करीब सवा चार सौ सुरक्षाकर्मी में से केवल दो सौ ही कार्यरत हैं। राज्य सरकार को इस तरह की लापरवाही पर गौर कर उचित कदम उठाने चाहिए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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