Re: कुछ तर्क
[QUOTE=Rajat Vynar;552142]अरे, सोनी पुष्पा जी, आप तो रजनीश जी के कहे में आ गईं। रजनीश जी भ्रमवश मेरी प्रसंशा को 'खिल्ली' समझ रहे हैं। इस तरह तो आप भी मेरी बहुत प्रसंशा करती हैं। क्या मैं इसका मतलब यह निकालूँ कि आप मेरी खिल्ली उड़ा रही हैं? नहीं न? दूसरी बात यह है कि आपको इस प्रकार किसी के कहे में आकर मेरे विरुद्ध मंच पर क्रोधपूर्ण टिप्पणी नहीं लगानी चाहिए। आप हमारी मित्र-सूची में शामिल बोनाफाइड मित्र हैं। यदि आपको हमारी टिप्पणी के सम्बन्थ में गलतफहमी की वजह से कोई शिकायत है भी तो आपको सबसे पहले मुझे अपना व्यक्तिगत संदेश भेजकर इस बारे में अवगत करके अपना विरोध प्रकट करना चाहिए, न कि 'फोरम पुलिस' मंगा जी से मेरी सीधी शिकायत करनी चाहिए। मित्र-सूची में रहकर यदि आप इस प्रकार करेंगी तो फिर मैं नहीं, मंच पर उपस्थित दूसरे सदस्य आपको फ्रेनेमी अर्थात् मित्रवत् शत्रु समझने लगेंगे जो पीठ पीछे वार करता है। इस तरह से तो आपका ही नाम खराब होगा, मेरा नहीं और यदि ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा दुख मुझे पहुँचेगा। यदि मेरी बात अभी भी आपकी समझ में नहीं आती है तो यह अत्यन्त दुःखद विषय है और आपके पास हमारी मित्र-सूची से बाहर जाने का विकल्प खुला हुआ है, क्योंकि हम मित्र-सूची से बाहर के सदस्यों के सूत्रों पर अपनी टिप्पणी नहीं लगाते हैं। प्राब्लम सॉल्व्ड। यही नियम पवित्रा जी और कुकी जी पर भी लागू होते हैं। मित्र सूची से बाहर होने पर हम इस मंच पर ही नहीं, अन्तर्जाल में कहीं भी उस सदस्य के सूत्रों पर अपनी टिप्पणी नहीं लगाते। कुछ बुरा लगा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ।[/QUO
रजत जी जो कुछ लिखा है सबके सामने है, पीठ पीछे या प्राइवेट मेल द्वारा किसी से शिकायत या बातें करने की आदत मेरी नहीं . और कुपित होकर कुछ नहीं लिखा मैंने यदि आप ध्यान से पढेंगे मेरी बात को तो जरुर समझ जायेंगे ...
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