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शायर नजीर बनारसी भी गंगा की दुर्दशा पर चिंतित थे
वाराणसी। मशहूर शायर नजीर बनारसी 40 साल पहले भी गंगा की दुर्दशा पर बहुत चिंतित थे। नजीर साहब ने गंगा की दशा से व्यथित होकर लिखा था ‘श्रद्धाएं चीखती हैं विश्वास रो रहा है खतरे में पड़ गया है परलोक का सहारा, किस आइने में देखें मुंह अपना चॉंद -तारे गंगा का सारा जल हो जब गन्दगी का मारा।’ आज जिस गंगा की पवित्रता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए सरकार एवं गंगा प्रेमी व्यथित हैं अगर यही व्यथा उस समय लोगों ने महसूस की होती तो यह नौबत नहीं आती। अपनी धरोहर के प्रति वाराणसी के लोगों को फटकार लगाते हुए गंगा, जमुनी तहजीब के इस शायर ने अपनी नज्म में लिखा था ‘कब्जा है आज इस पर भैंसों की गंदगी का स्नान करने वालों जिस पर है हक तुम्हारा।’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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