जयपुर साहित्य महोत्सव2015
ज.सा.म. 2015 में वहीदा रहमान
गुरुदत्त के बारे में उन्होंने बताया कि ‘ वे एक महान फ़िल्मकार थे. उनके साथ मेरे संबंध बेहतरीन रहे, उन्होंने ही मुझे सी आई डी फिल्म में ब्रेक दिया. लेकिन उनके साथ काम करना आसान नहीं था. वे एक-एक सीन के 50-50 री-टेक तक ले लिया करते थे. गुरुदत्त के साथ मैंने ‘कागज़ के फूल’ (1959) तथा ‘प्यासा’(1957) तथा ‘चोदह्वीं का चाँद’ नामक फिल्मों में भी काम किया.
अपने फिल्मी सफर का जिक्र करते हुए कहा कि 'साहब, बीबी और गुलाम' में जब उनको सेकेंड लीड रोल के लिए ऑफर आया तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। उस समय गुरुदत्त साहब ने उनसे कहा था कि आप एक बड़ी अदाकारा बन गई हो आप सेकेंड लीड रोल मत करो। यह पूछे जाने पर कि ‘साहब बीवी और गुलाम’ फिल्म के लिए वे इस रोल के लिए कैसे राजी हो गईं. इस पर उन्होंने बताया, “दरअसल, मैं लीड रोल ही करना चाहती थी लेकिन निर्माताओं ने मन कर दिया. उनका कहना था कि मैं लडकी जैसी दिखती हूँ जबकि इस रोल के लिए मैच्योर अभिनेत्री की जरुरत थी. अंततः मैं साइड रोल के लिए राजी हो गयी. यह रोल भी मुझे बहुत पसंद था.
उपरोक्त फिल्मों के बाद वे देवानंद की ‘गाइड’ फिल्म को अपने करियर में मील का पत्थर मानती हैं. 50 वर्ष पहले बनी फिल्म अपने ज़माने से कहीं आगे की कहानी थी. वे अपने को इस फिल्म की नायिका रोज़ी के निकट पाती हैं.
गुजरे जमाने की अदाकारा नंदा को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया। नए सितारों में अभिषेक बच्चन उनके दोस्त हैं।