Re: मेरी ज़िंदगी : मेरे शहर
बहुत दिनों से यह श्रंखला टूटी हुयी है. मेरी इच्छा है कि इसमें अपने जीवन से जुड़े कुछ नए प्रसंग और जोड़ना चाहता हूँ. जल्द ही इस दिशा में काम करूँगा.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|