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Originally Posted by ndhebar
धोखे से लूट ले जा सकते हो तुम भी,
पर कोशिश न करना कीमत लगाने की,
जिसके बदले में बिक जाये इमान मेरा,
औकात इतनी नहीं अभी इस ज़माने की/
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बंजारा इक घूम रहा है प्रियतम की गलियों में
खोज रहा है साथी अपना तितली में कलियों में
प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा ऐसी 'जय' गलियाँ हैं
धोखे से जो साथी लूटें, वे गिने जायेंगे छलियों में