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Originally Posted by sombirnaamdev
माँ की ममता और फर्ज बाप का
दुनिया में सब पे भारी है
बेटी नाम दुलार का है
नाम समर्पण का नारी है
भाई सा सच्चा साथी दुनिया में कोई और नहीं .
सच्चे यार की वफ़ा जैसा दुनिया में कोई और नहीं ..
बहन है सच्ची रक्षक दुःख सुख की संगी है
दादा परिवार की नीव जिस पर परिवार की ईमारत खड़ी है
दादी ठंडी छाव् बनके सर के ऊपर छत सी पड़ी है
ये दोनों है आने वाले कल प्रेरणा
बिना इनके जिन्दगी बे रंगी है
बेटे है जमा पूंजी जो काम वक़्त पे आये
जवानी का गौरव है बेटे और बुढ़ापे की लाठी है
बिना बेटे के बाप की जिंदगी ही बे ढंगी है
सोमबीर सिंह सरोया
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सोमवीर जी! परिवार के प्रत्येक सदस्य का एक विशिष्ट महत्व है, यही आपने दर्शाया है। वर्णन अत्यधिक सुन्दर है।
आपका धन्यवाद!