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Bond007
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Arrow बिहार का इतिहास

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस स्थान पर शहीद स्मारक का निर्माण हुआ । इसका शिलान्यास स्वतन्त्रता दिवस को बिहार के प्रथम राज्यपाल जयराम दौलत राय के हाथों हुआ । औपचारिक अनावरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने १९५६ ई. में किया । भारत छोड़ो आन्दोलन के क्रम में बिहार में १५,००० से अधिक व्यक्*ति बन्दी बनाये गये, ८,७८३ को सजा मिली एवं १३४ व्यक्*ति मारे गये ।

बिहार में भारत छोड़ो आन्दोलन को सरकार द्वारा बलपूर्वक दबाने का प्रयास किया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि क्रान्तिकारियों को गुप्त रूप से आन्दोलन चलाने पर बाध्य होना पड़ा ।

९ नवम्बर, १९४२ दीवाली की रात में जयप्रकाश नारायण, रामनन्दन मिश्र, योगेन्द्र शुक्ला, सूरज नारायण सिंह इत्यादि व्यक्*ति हजारीबाग जेल की दीवार फाँदकर भाग गये । सभी शैक्षिक संस्थान हड़ताल पर चली गई और राष्ट्रीय झण्डे लहराये गये । ११ अगस्त को विद्यार्थियों के एक जुलूस ने सचिवालय भवन के सामने विधायिका की इमारत पर राष्ट्रीय झण्डा लहराने की कोशिश की ।

द्वितीय विश्*व युद्ध की प्रगति और उससे उत्पन्*न गम्भीर परिस्थित्यों को देखते हुए कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार को सहायता व सहयोग दिया । अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स प्रस्ताव में दोष होने के कारण कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया था ।

दिसम्बर, १९४१ में जापानी आक्रमण से अंग्रेज भयभीत हो गये थे । मार्च, १९४२ में ब्रिटिश प्रधानमन्त्री विन्सटन चर्चिल ने ब्रिटिश संसद में घोषणा की कि युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जायेगा । २२ मार्च, १९४२ को स्टेफोर्ड किप्स ने इस व्यवस्था में लाया । फलतः उनके प्रस्ताव राष्ट्रवादियों के लिए असन्तोषजनक सिद्ध हुए । ३० जनवरी, १९४२ से १५ फरवरी, १९४२ तक पटना में रहकर मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने सार्वजनिक सभा को सम्बोधित किया ।

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Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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