Re: भारतीय क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजी के जाद&a
चौकड़ी में सबसे उम्रदराज प्रसन्ना उम्र के 71वें पड़ाव को पार कर चुके हैं। 49 टेस्टों में 189 विकेट हासिल करने वाले प्रसन्ना फिलहाल किसी आधिकारिक पद पर आसीन नहीं हैं वहीं चौकड़ी में सबसे ज्यादा मारक चंद्रशेखर भी फिलहाल किसी भी रूप में क्रिकेट से जुड़े नहीं हैं जिन्होंने महज 58 टेस्टों में 242 विकेट अपने नाम किए। समग्र रूप से घरेलू क्रिकेट में खेल की गुणवत्ता और विशेष रूप से स्पिन गेंदबाजी की परंपरा बेदी और प्रसन्ना दोनों को परेशान कर रही है।
प्रसन्ना कहते हैं, 'अच्छे स्पिनरों को दूसरे छोर से मदद की भी जरूरत होती है।' बेदी इसमें अपनी बात जोड़ते हैं, 'कुंबले के लिए हरभजन मौजूद रहे लेकिन अब हरभजन के लिए कौन मौजूद है? ' रविचंद्रन अश्विन, अमित मिश्रा और प्रज्ञान ओझा फिलहाल फिरकी गेंदबाज के रूप में भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। लेकिन क्या वे भारतीय स्पिन गेंदबाजी के गौरव को फिर से हासिल कर पाएंगे? प्रसन्ना कहते हैं, 'स्पिन गेंदबाजी काफी मुश्किल काम है और एक स्पिन गेंदबाज को हमेशा बल्लेबाज को पिच और दिमागी मोर्चे पर चालाकी से मात देने पर ध्यान लगाना चाहिए।' वेंकटराघवन कहते हैं, 'केवल प्रतिभा आदमी को आगे नहीं ले जाएगी।'
वहीं बेदी का कहना है, 'कुछ अच्छे स्पिनर आ रहे हैं लेकिन उनमें महानस्पिनर बनने की मानसिक दृढ़ता का अभाव है।' अगर स्पिन के दिग्गजों की ऐसीराय है तो दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड को संभल जाना चाहिए। इसके लिएइन दिग्गजों के अनुभव का आश्रय लिया जा सकता है। यदि समय रहते इस समृद्घपरंपरा को नहीं सहेजा गया तो देश में स्पिन गेंदबाजी की विधा महज अतीत केपन्नों में दफन हो जाएगी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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