Re: जनतंत्र का भविष्य :: किशन पटनायक
समाज के अभिभावकों का, देशभक्त कार्यकर्ताओं का संरक्षण समाज के द्वारा ही होना चाहिए। सारे राजनेताओं को हम पूँजीपतियों पर आश्रित होने के लिए छोड़ नहीं सकते। समाज खुद उनके प्रशिक्षण और प्रतिपालन का दायित्व लें। इस दायित्व को निभाने के लिए यदि बनी-बनायी संस्थाएँ नहीं हैं, तो सांविधानिक तौर पर राज्य के अनुदान से संस्थाएँ खड़ी की जायें। जिस प्रकार न्यायपालिका राज्य के अनुदान पर आधारित है, लेकिन स्वतंत्र है, उसी तरह राजनेताओं का प्रशिक्षण और प्रतिपालन करनेवाली संस्थाएँ भी स्वतंत्र होंगी। केवल चरित्र, निष्ठा और त्याग के आधार पर राजनैतिक संरक्षण मिलना चाहिए। जो आजीवन सामाजिक दायित्व वहन करने के लिए संकल्प करेगा, जो कभी धन संचय नहीं करेगा, जो संतान पैदा नहीं करेगा, उसी को सामाजिक संरक्षण मिलेगा। जो धन संचय करता है, जो संतान पैदा करता है, उसको भी राजनीति करने, चुनाव लड़ने का अधिकार होगा, लेकिन उसे सामाजिक संरक्षण नहीं मिलेगा। जिसे सामाजिक संरक्षण मिलेगा उसके विचारों पर अनुदान देनेवालों का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। सिर्फ आचरण पर निगरानी होगी। निगरानी की पद्धति पूर्वनिर्धारित रहेगी।
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