Re: !! गीत सुधियोँ के !!
दीवारोँ पर चिपके नारे
पेट नहीँ भरते प्यारे
तुझसे तेरा देश प्रगति का
पहला अक्षर माँग रहा है
युग हस्ताक्षर माँग रहा है ।
रधिया के तन पर चिथड़े हैँ जीवन के गोपन उधड़े हैँ
फुटपाथोँ पर सोया रामू
छोटा सा घर माँग रहा है
युग हस्ताक्षर माँग रहा है ।
ये जीवन की नयी दिशाएं
बनी वेद की दीप्त ऋचाएं
एक नया युगबोध व्यक्ति के
जीवन का स्तर माँग रहा है
युग हस्ताक्षर माँग रहा है ।
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