जी चाहता है
जी चाहता है
कुछ लिखूं लिखते जाने को जी चाहता है
कुछ कहूँ कहते जाने को जी चाहता है
बाँध न पाये अब मुझको सीमा कोई
आसमां लांघ जाने को जी चाहता है
उड़ती जाऊं हवाओं में दिन रात मैं
बिन रुके उड़ते जाने को जी चाहता है
ऐसा करने का साहस नहीं था मगर
झील में पैठ जाने को जी चाहता है
संग ले कर चलूँ अपने खुशियाँ हज़ार
इस कदर मुस्कुराने को जी चाहता है
फूल खिल जायें जज़्बात के बेपनाह
सपने अपने सजाने को जी चाहता है
खयालों की गलियों में भटकन लिये
खुद को ही भूल जाने को जी चाहता है
दिले नादां खुशी तुझको इतनी है क्यों
ये समझने न समझाने को जी चाहता है.
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Last edited by rajnish manga; 15-04-2016 at 08:39 AM.
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