Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
चाहत के नज़रिए में अक्सर ऐसा होता है ,की हर किसी को सच्चा चाहनेवाला नहीं मिलता और जिस मिलता है , वो उसकी सच्चाई को सम्जहने में बहुत देर कर जाते है , तब तक चाहनेवाले के दिल से चाहत का नज़रिए करवट बदल लेता क्यों चाहेंवाले को ये एहसास होता है , की वो मोहरा बन चूका है , और उसका पूरा नजरिया अपनी ही चाहत के लिए बदल जाता है ,क्योकि उसकी चाहत को समझने के लिए लोग वक़्त नहीं देते जिसे वो चाहता वो भी उसको वक़्त नहीं देते और लड़का एक चाहत की खातीर अपनी ज़िन्दगी को मौत के हवाले कर देने तक के लिए राज़ी हो जाता है , तब कही हमारी आखे खुलती है , मगर तब तक सब कुछ बिखर चूका होता है .
अब सोचिये की एक लड़के ने यदि एक लड़की को चाह और यदि लड़की उसकी चाहत को नहीं समझ पाई और लड़के ने जान दे दी ,
इस चाहत के सामने उस माँ का 9 महीने का प्यार और उस लड़के को पाल पोसकर बड़ा करने तक का माँ -बाप का प्यार इतना छोटा कैसे हो जाता है की लड़का जान दे देता है , क्या प्यार जान से बड़ा है , या उस माँ -बाप का प्यार की कोई अहमियत नहीं इस प्यार
के सामने ?
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