शुक्र है खुद का
खुदा का शुक्र है सुबह का सूरज देखा
न जाने कितने नींद से जागते नहीं
मिला है कुछ वक़्त कुछ करने के लिये
कब वक़्त मिलना ख़तम हो जायेगा पता नहीं
हम जीते हैं यह सोच हम हमेशा रहेंगे
जब कि कोई भी हमेशा रहेगा नहीं
इस हक़ीक़त को समझने में समझदारी है
केवल सपनो की दुनियां में रहने में नहीं
बंसी(मधुर)
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