Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दावा क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ,
खुद को खोके तुझको पाकर क्या क्या मिला क्या कहो,
तेरी होके जीने में क्या आया मज़ा क्या कहूँ,
कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फिजा क्या कहूँ,
मेरी होके तुने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूँ,
मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ,
है ये दुनिया दिल की दुनिया मिलके रहेंगे यहाँ,
लूटेंगे हम खुशियाँ हर पल दुःख न सहेंगे यहाँ,
अरमानो के चंचल धारे ऐसे बहेंगे यहाँ,
ये तो सपनो की जन्नत है सब ही कहेंगे यहाँ,
ये दुनिया मेरे दिल में बसी है दिल से जुदा क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ..
__________________
************************************
मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
*************************************
|