Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
सनसनी का यह सिलसिला दूसरी तरफ भी थी और वह हिरणी की तरह कुलांचे भरती हुई छटक कर भाग गई। इस एक छोटे से एहसास ने मुझे तर-बतर कर दिया। किशोरवस्था का यह दौर भटकाव का होता है, ऐसा सुन रखा था पर आज मन काबू में नहीं था। घर आया, लैम्प जलाकर पढ़ने के लिए बैठ गया पर किताबों में मन ही नहीं रमता। जाने क्या हो गया। कुछ कुछ अजीब सा होने लगा था। उस रात बेचैनी में कट गई। सारी रात जागता रहा और मन कल्पनाओं की उंची उड़ान भरता रहा।
इस घटना का असर काफी गहरा हुआ। रीना अब कई दिनों से नजर नहीं आ रही थी। मेरे मन में भी कई तरह के ख्याल आने लगे और सबसे बुरा ख्याल यह कि शायद वह बुरा मान गई। पर मन को मैं समझाता कि मैंने जान बूझ कर ऐसा तो नहीं किया। कभी कभी यह भी सोंचता कि वह क्या सोंच रही होगी। कितना नीच हूं मैं। खैर भविष्य संवारने के जज्बे में सारी कल्पनाओं को समुंद्र में जा कर दूसरे दिन डुबो दिया और मैट्रिक की परीक्षा अच्छी गई। मैं प्रथम श्रेणी से उतीर्ण हुआ। गांव में सबसे अधिक अंक गुडडू के आये उसके बाद मेरा नंबर था। लोग पूछने लगे
‘‘कखने पढ़ो हलही रे।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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