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Old 15-03-2015, 08:45 PM   #3
soni pushpa
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Default Re: घर हो मंदिर या घर में हो एक मंदिर

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Originally Posted by pavitra View Post
घर में मन्दिर तो ज्यादातर सभी घरों में मिल जाएँगे , पर बहुत ही कम घर ऐसे होते हैं जो खुद ही मन्दिर जैसे पवित्र हों । जहाँ शान्ति हो , सुकून हो , लोग अपना समय जहाँ गुजारना पसन्द करें, जहाँ उन्हें अपनी समस्याओं से लडने की हिम्मत मिल सके , जहाँ वो आनन्द का अनुभव कर सकें । और घर को मन्दिर बनाना भी कोई मुश्किल काम नहीं है , हम अपने थोडे से प्रयास से ये काम कर सकते हैं । अगर घर के सभी सदस्यों में आपसी समझ विकसित हो जाये , लोग एक दूसरे को सम्मान दें , एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें , दूसरों को बदलने का प्रयास ना करें , उन्हें वैसे ही उनकी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करें , कभी किसी भी सदस्य को नीचा ना दिखायें , किसी का मजाक ना बनायें , किसी को ताने ना दें तो हर घर मन्दिर अपने आप ही बन जायेगा ।



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Originally Posted by pavitra View Post
घर में मन्दिर तो ज्यादातर सभी घरों में मिल जाएँगे , पर बहुत ही कम घर ऐसे होते हैं जो खुद ही मन्दिर जैसे पवित्र हों । जहाँ शान्ति हो , सुकून हो , लोग अपना समय जहाँ गुजारना पसन्द करें, जहाँ उन्हें अपनी समस्याओं से लडने की हिम्मत मिल सके , जहाँ वो आनन्द का अनुभव कर सकें । और घर को मन्दिर बनाना भी कोई मुश्किल काम नहीं है , हम अपने थोडे से प्रयास से ये काम कर सकते हैं । अगर घर के सभी सदस्यों में आपसी समझ विकसित हो जाये , लोग एक दूसरे को सम्मान दें , एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करें , दूसरों को बदलने का प्रयास ना करें , उन्हें वैसे ही उनकी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करें , कभी किसी भी सदस्य को नीचा ना दिखायें , किसी का मजाक ना बनायें , किसी को ताने ना दें तो हर घर मन्दिर अपने आप ही बन जायेगा ।





बहुत बहुत धन्यवाद आपको पवित्रा जी ,.. जी हाँ मेरा मानना यही है पवित्रा जी की घर में मंदिर बनाने की जगह आज के समय में इन्सान को खुद का घर मंदिर जेइसा बनाना चहिये जिसमे घर के सदस्यों के बिच एकदूजे के लिए असीम प्यार हो, विश्वास हो और एकदूजे के लिए जीने की चाह हो और त्याग की भावना से घर के सदस्यों के दिल परिपूर्ण हो .
मंदिर घर में हो भगवन की पूजा हर समय होती हो ये एक अछि बात है इससे लोगो के मन में सकारात्मक उर्जा का जन्म होता है किन्तु यदि पूजा सिर्फ एक यांत्रिक तरीके से की जाय की दिया जलना है बस जला दिया, तुलसी में पानी डालना है नौकर को कहके डलवा दिया , तो उस घर में सकारात्मक उर्जा नहीं आती और लोगो में एकदूजे के लिए जीने की भावना नहीं आती भगवन की पूजा में श्रध्धा का होना भी जरुरी है .
और दूजे ये की जिस घर में माँ बाप की सेवा होती हो जिस घर में अपनत्व की भावना हो जहा छोटे बड़े का सम्मान करते हो और बड़े छोटो से बेहद प्यार करते हों, और समस्त परिवार मिलकर सभी सुख दुःख में भाग लेते हों क्यूंकि वहां एक स्वच्छ वातावरण होता है मन में मैल नहीं होता किसी के, वहां माँ लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं इसलिए पहले एकबार घर को मंदिर बनाये तब अपने आप घर का मंदिर खिल उठेगा और भगवन खुद आकार वहां बिराजमान हो जायेंगे ..... कलह क्लेश के वातावरण में घर से बरकत चली जाती है. लोगो के मन की शांति चली जाती है और हर पल जहा आंसुओं की झड़ी हो वहां हंसी नहीं और हंसी जहाँ नहीं वहां आनंद नहीं और भगवन वहां होते है जहा आनंद हो क्यूंकि भगवान खुद आनंद स्वरुप हैं .
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