Re: उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ
उमर ख़य्याम जी की रुबाइयों का अनुवाद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई.
कितनी सटीक बात कही है इन पक्तियों में सच कहा है विधि के विधान को कोई नहीं टाल सकता
हाथों की लकीरों में किस्मत, जब आ कर सब लिख जायेगी
फिर उसके बाद न दया याचना, न हुशियारी ही काम आयेगी
तहरीर जो किस्मत ने लिख दी, उसमें बदलाव असंभव है
फिर बाढ़ आँसुओं की आ कर, लफ्ज़ एक नहीं धो न पायेगी
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