21-09-2015, 09:23 PM
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Re: इधर-उधर से
गौ सेवा में रत मित्र
अनादिकाल से मानवजाति गोमाता की सेवा कर अपने जीवन को सुखी, सम्रद्ध, निरोग, ऐश्वर्यवान एवं सौभाग्यशाली बनाती चली आ रही है. गोमाता की सेवा के माहात्म्य से शास्त्र भरे पड़े है. आइये इस संबंध में एक समर्पित गौसेवक का प्रसंग पढ़ते हैं:
मेरे एक मित्र हैं सुरेश जी. वे एक मझोले आकार के कारखाने के मालिक हैं और आढ़त का काम भी करते हैं. बड़े सरल हृदय और मिलनसार. दो बेटे हैं और दोनों ही अपना एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का काम करते हैं. रोजगार में आने के बाद उन्होंने अपना आरंभिक समय छोटे से कमीशन एजेंट के रूप में किया. धीरे धीरे मेहनत करते हुए उन्होंने अपनी दुकान खरीदी और बाद में एक कारखाना भी खरीद लिया था और धान का एक्सपोर्ट शुरू कर दिया. इसी के साथ बच्चों की शिक्षा भी चलती रही.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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