Re: इधर-उधर से
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उनसे कभी पिछली ज़िन्दगी के बारे में बात चलती थी तो वो बताते हैं कि मैंने जो कुछ भी जीवन में पाया है उसमें यदि किसी एक तत्व का नाम लेना हो तो ‘मैं कहूँगा मेरे पास जो कुछ है वह गौ माता की कृपा से है. मैं पिछले 30 वर्षों से गौशाला में जा कर गौसेवा कर रहा हूँ, यह सब उसी का फल है. मैं भोर के समय चार बजे ही गौशाला चला जाता हूँ और सात बजे तक वहीँ रहता हूँ. इस बीच गउओं के बाँधने के स्थान पर गोबर मूत्रादि की सफाई, गउओं की सफाई, गउओं का चारा पानी तैयार करना और प्रेमपूर्वक उनको खिलाना यह काम करता हूँ. यह मेरा रोज का काम है. इसमें मुझे आत्मिक शांति मिलती है. मैं मानता हूँ कि ईश्वर ने मुझे गौ सेवा की प्रेरणा दे कर जैसे सबसे बड़ा वरदान दे दिया है'’.
मेरे मित्र सुरेश जी आज भी गौसेवा के काम में समर्पित हैं. मुझ जैसे सैकड़ों हजारों लोग उनके द्वारा लगनपूर्वक लम्बे समय से की जा रही गौसेवा को देख सुन कर अचरज करेंगे और दांतों तले उंगली दबा लेंगे. यह सेवा का एक अनूठा रूप है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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