पद्मश्री स्व. चिरंजीत
जन्म: 18/12/1919
मृत्यु: 07/11/2007
मेरी आदत है कि मैं अखबार में शोक सन्देश वाले पृष्ठ को बड़े ध्यान से पढ़ता हूँ जिसमे Obituary, Tribute और Remembrances वाले कॉलम में शोक सन्देश अथवा पूर्व में दिवंगत किसी व्यक्ति की याद में सन्देश छपा होता है. आज सुबह के अखबार में शोक सन्देश वाले पृष्ठ पर एक सन्देश पढ़ कर मुझे ठीक पचास वर्ष पहले का (यानी सन 1965 की) समय याद आ गया. पहले मैं आपको बता दूँ कि यह संदेश स्व. चिरंजीत के बारे में था जो लेखक, कवि, व्यंग्यकार व नाटककार थे. उनकी कहानियाँ और व्यंग्य उन दिनों की पत्र पत्रिकाओं में छपते रहते थे. आपको याद होगा कि पाकिस्तान ने सन 1965 और सन 1971 में भारत पर आक्रमण कर दिया था. जहां 1962 के चीन आक्रमण के समय भारत की सामरिक तैयारी अधिक नहीं थी. लेकिन चीन युद्ध के बाद 1965 में हमारा देश पूरी तरह मुस्तैद हो चुका था. देशवासियों का उत्साह देखते ही बनता था. देशभक्ति की भावना सबको अपने आगोश में ले चुकी थी. उन दिनों टीवी सिर्फ दिल्ली तक सीमित था. ऐसे में रेडियो का महत्वपूर्ण रोल था. सुबह शाम प्रसारित होने वाले समाचार बुलेटिन सारे देश में रूचिपूर्वक व उत्सुकता से सुने जाते थे. समाचारों के अलावा फ़रमाइशी फ़िल्मी गानों के कार्यक्रम, बहनों के लिए कार्यक्रम, बच्चों के लिए कार्यक्रम (यह दोनों प्रोग्राम साप्ताहिक होते थे) और रेडियो नाटक व झलकियाँ यानी हास्य व्यंग्य के छोटे नाटक.